मोदी सरकार की बड़ी योजनाओं में से एक आयुष्मान भारत योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। संसद में एक प्रश्न के उत्तर में सरकार ने बताया कि एनएएफयू (राष्ट्रीय धोखाधड़ी निरोधक इकाई) ने निजी अस्पतालों के 562.4 करोड़ रुपये के 2.7 लाख दावों को फर्जी पाया है। राज्य स्वास्थ्य एजेंसियां (एसएचए) नियमित रूप से डेस्क मेडिकल ऑडिट के साथ-साथ फील्ड ऑडिट भी करती हैं। कुल 1,114 अस्पतालों को पैनल से हटा दिया गया है। इसके अलावा आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के तहत 549 अस्पतालों को भी निलंबित कर दिया गया है।
राज्यसभा में सरकार से सवाल पूछा गया कि क्या आयुष्मान योजना के तहत निजी अस्पतालों द्वारा फर्जी बिल बनाने का कोई मामला सामने आया है? यदि हाँ, तो इसका राज्यवार एवं अस्पतालवार ब्यौरा क्या है? फर्जी बिल बनाने वाले अस्पतालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है? इस संबंध में सरकार क्या कार्रवाई कर रही है? इसके जवाब में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की ओर से जानकारी दी गई है।
सरकार ने कहा कि आयुष्मान योजना सरकार की प्रमुख योजना है। इसके तहत देश की आर्थिक रूप से कमजोर 40% आबादी के 12.37 करोड़ परिवारों के लगभग 55 करोड़ लाभार्थियों को हर साल 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर प्रदान किया जाता है। हाल ही में इस योजना के अंतर्गत 4.5 करोड़ परिवारों के 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को वय वंदना कार्ड के साथ ABPMJAY में शामिल किया गया है।
इस योजना में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी को रोकने और उसका पता लगाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) में राष्ट्रीय धोखाधड़ी निरोधक इकाई (एनएएफयू) का गठन किया गया है। यह धोखाधड़ी से संबंधित मुद्दों की जांच करता है। 6.66 करोड़ दावों में से, एनएएफयू ने निजी अस्पतालों से प्राप्त 562.4 करोड़ रुपये के 2.7 लाख दावों को फर्जी पाया और उन्हें खारिज कर दिया गया।
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