शिक्षक संघ ने मनीष सिसोदिया के पंजाब स्कूल दौरे पर आपत्ति जताई: पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के पूर्व विधायक मनीष सिसोदिया पंजाब के शिक्षा मंत्री और अन्य अधिकारियों के साथ राज्य के विभिन्न जिलों के सरकारी स्कूलों का दौरा कर रहे हैं। मनीष सिसोदिया पंजाब के स्कूलों में समर्थ (प्राथमिक) प्रशिक्षण कार्यक्रम की समीक्षा कर रहे हैं, जिसके तहत आज तरनतारन जिले का दौरा भी किया गया। शिक्षक संगठन डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ) पंजाब ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है और पंजाब के सरकारी स्कूलों में अनाधिकृत व्यक्तियों के आने को चिंताजनक घटना बताया है।
इस बारे में बात करते हुए डी.टी.एफ. प्रदेश अध्यक्ष विक्रम देव सिंह, महासचिव महेंद्र कौरवाली और वित्त सचिव अश्विनी अवस्थी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस के साहिबजादा अजीत सिंह नगर (मोहाली), गुरदासपुर और तरनतारन जिलों के सरकारी स्कूलों के दौरे की आड़ में दिल्ली के राजनेता मनीष सिसोदिया और उनकी टीम के बाकी लोग जांच कर रहे हैं और स्कूल प्रिंसिपलों और शिक्षकों को दिशा-निर्देश दे रहे हैं। एक तरफ पंजाब सरकार द्वारा पिछले साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर पंजाब के लिए अपनी शिक्षा नीति तैयार करने की घोषणा अन्य कई सरकारी फैसलों की तरह कागज का टुकड़ा साबित हुई है, वहीं दिल्ली में पंजाब में उसी शिक्षा मॉडल को लागू करने पर जोर दिया जा रहा है जिसे लोगों द्वारा राजनीतिक रूप से नकार दिया गया है।
नेताओं ने कहा कि पंजाब की सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक विविधता को देश के बाकी हिस्सों से मान्यता देने के बजाय, केंद्र सरकार ‘एक राष्ट्र, एक शिक्षा नीति’ के संघीय एजेंडे के साथ आगे बढ़ रही है। ऐसा करके पंजाब के राजनेताओं को दिल्लीवासियों का जूनियर पार्टनर दिखाया जा रहा है, जिससे पता चलता है कि पंजाब को राजनीतिक रूप से हाशिए पर रखा जा रहा है। इसके अलावा पंजाब की समूची स्कूली शिक्षा व्यवस्था को शिक्षाविदों और शैक्षिक मनोविज्ञान के अनुसार चलाने की बजाय सभी निदेशक स्तर के पदों को नौकरशाही के हवाले कर दिया गया है, जिससे राज्य की शिक्षा व्यवस्था की आग में घी डालने का काम किया जा रहा है।
डीटीएफ पंजाब शिक्षा आयोग के राज्य उपाध्यक्ष राजीव बरनाला, गुरप्यार कोटली, जगपाल बंगी, बेअंत सिंह फुल्लेवाल, हरजिंदर वडाला बांगर और रघवीर भवानीगढ़ ने 23 मई को मोगा में होने वाली राज्य कमेटी की बैठक में पंजाब की शिक्षा चिंताओं को लेकर कार्यक्रम बनाने का ऐलान करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है कि पंजाब सरकार स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार अपनी शिक्षा नीति बनाने की बजाय 'दिल्ली मॉडल' की अवशेष बन गई है।
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