सीबीआई के विशेष न्यायाधीश राकेश गुप्ता की अदालत ने 1992 में मजीठा थाने में फर्जी पुलिस मुठभेड़ करने के दोषी थानेदार गुरभिंदर सिंह और थानेदार प्रशोत्तम सिंह को आजीवन कारावास और दो-दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
आपको बता दें कि 1992 में पंजाब पुलिस पर दो युवा जवानों बलदेव सिंह देबा और लखविंदर सिंह लाखा उर्फ फोर्ड की फर्जी पुलिस मुठभेड़ में हत्या करने का आरोप है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूर्व एसपी को आदेश दिया कि चमन लाल और तत्कालीन डी.एस.पी. एस.एस. सिद्धू को संदेह के लाभ से बरी कर दिया गया, जबकि पांच आरोपियों की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई।
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