पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपराधों से जुड़े मामलों में आरोपी द्वारा दायर अपील पर विचार नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर और न्यायमूर्ति कुलदीप तिवारी की खंडपीठ ने अपने विस्तृत आदेश में जोर देकर कहा कि यूएपीए के प्रावधानों के तहत अपराधों से जुड़े मामले में जमानत देने से इनकार करने वाले विशेष न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ आरोपी द्वारा दायर अपील वैधानिक समय सीमा से अधिक विलंबित होने पर सुनवाई योग्य नहीं होगी। पीठ ने "नवीश कुमार उर्फ नवी बनाम पंजाब राज्य" के मामले में अपने पहले के फैसले का भी हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 की धारा 21 के तहत वैधानिक समय सीमा से परे दायर अपील कानूनी रूप से अस्थिर हैं। न्यायालय ने फैसला सुनाया कि परस्पर विरोधी फैसलों से बचने और कानूनी अनुशासन बनाए रखने के लिए न्यायिक स्थिरता महत्वपूर्ण है। इसमें कहा गया कि इसकी टिप्पणी का कारण यह तथ्य है कि नवीश कुमार के मामले में अदालत ने माना था कि यूएपीए के तहत अपराधों से जुड़े आवेदन के संबंध में विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित अस्वीकृत आदेश के खिलाफ अभियुक्त द्वारा दायर कोई भी समय-सीमा समाप्त अपील स्वीकार्य नहीं होगी।
यूएपीए मामलों में समय बीत जाने के बाद अपील स्वीकार्य नहीं: उच्च न्यायालय
byManish Kalia
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