केंद्र द्वारा ग्रामीण विकास निधि (आरडीएफ) के 8,000 करोड़ रुपये रोके जाने के बाद, नकदी की कमी से जूझ रही पंजाब सरकार राज्य भर में मंडियों (कृषि बाजारों) की जमीन को किराए पर देने और खुद राजस्व उत्पन्न करने की योजना बना रही है। आरडीएफ ग्रामीण विकास निधि अधिनियम, 1987 के तहत कृषि उपज की खरीद या बिक्री पर लगाया जाने वाला 3 प्रतिशत उपकर है। पंजाब केंद्र के लिए सालाना 60,000 करोड़ रुपये का गेहूं और धान खरीदता है। अप्रैल 2024 तक केंद्र के पास 6,767 करोड़ रुपये लंबित थे। हाल ही में धान की खरीद के बाद इस राशि में 13,000 करोड़ रुपये और जुड़ गए हैं। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पिछले तीन सालों से आरडीएफ रोक रही है और पंजाब सरकार ने जुलाई 2023 में इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। हाल ही में पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री लाल चंद कटारूचक ने केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी से मुलाकात की और अंतरिम राहत मांगी। हालांकि, बैठक में अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है।
मीडिया से बात करते हुए एक सरकारी अधिकारी ने कहा, “हमारे पास पूरे राज्य में मंडियों के बड़े-बड़े प्लांट हैं। हम इन प्लांट के कुछ हिस्सों को एटीएम कियोस्क, पेट्रोल पंप, मोबाइल टावर, रेस्टोरेंट और यहां तक कि मिनी शॉपिंग आर्केड के लिए किराए पर देने की योजना बना रहे हैं। इससे फंड जुटाया जा सकता है। हम इस प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “हम मंडियों में जमीन के टुकड़े किराए पर देकर 100-200 करोड़ रुपये कमाने की योजना बना रहे हैं। हाईवे पर मंडियों में पेट्रोल पंप और शॉपिंग आर्केड व्यवहार्य होंगे। गांवों की मंडियों में भी मोबाइल टावर लगाए जा सकते हैं क्योंकि ये कंपनियां हमेशा जमीन की तलाश में रहती हैं। एटीएम कियोस्क के मामले में भी यही स्थिति है। बैंक भी हमेशा कियोस्क के लिए जगह की तलाश में रहते हैं। हमारी मंडियां हमेशा सड़क नेटवर्क से अच्छी तरह जुड़ी हुई हैं।”
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