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पंजाब के आईजीपी समेत छह को आपराधिक साजिश और सरकारी काम में बाधा डालने के लिए 8 महीने की जेल


पंजाब डेस्क : पंजाब पुलिस के एक पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) को शुक्रवार को सीबीआई की एक अदालत ने एक घोषित अपराधी से जुड़े आपराधिक षड्यंत्र मामले में आठ महीने की जेल की सजा सुनाई। सीबीआई की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट मेघा धालीवाल की अदालत ने आईजीपी गौतम चीमा और उनके पांच साथियों रश्मि नेगी, अजय चौधरी, वरुण उतरेजा, विक्की वर्मा, आर्यन सिंह को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत तीन महीने, धारा 186 (किसी लोक सेवक को उसके कर्तव्यों के निर्वहन में स्वेच्छा से बाधा डालना) के तहत तीन महीने और धारा 225 (किसी अन्य व्यक्ति की वैध गिरफ्तारी का प्रतिरोध या बाधा डालना) के तहत आठ महीने की सजा सुनाई। हालांकि, अदालत ने अपहरण, घर में जबरन घुसने, हमला, आपराधिक धमकी और गलत तरीके से बंधक बनाने के अपराधों के लिए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य “उचित संदेह से परे” साबित करते हैं कि सभी आरोपियों ने एक “आपराधिक साजिश” रची और 26 अगस्त, 2014 की रात को “जानबूझकर प्रतिरोध किया और पुलिस अधिकारियों द्वारा सुमेध गुलाटी की वैध गिरफ्तारी में अवैध रूप से बाधा डाली और मोहाली के फेज 1 पुलिस स्टेशन की पुलिस की वैध हिरासत से गुलाटी को जबरन ले गए। … इसके अलावा आपराधिक साजिश के तहत इस कृत्य से पुलिस अधिकारियों को सार्वजनिक कामकाज के निर्वहन में बाधा पहुंचाई गई”।

 

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